कहानी, व्यंग्य, कविता, गीत व गजल

Wednesday, March 11, 2009

भारतीय टीम की जबर्दस्त वापसी

पानी के आसंन संकट के मद्देनजर भोपाल में इस वर्ष रंगों की वरसात नहीं हुई लेकिन यहां से हजारों किलोमीटर दूर हेमिल्टन में भारतीय क्रिकेटरों ने जो रन वर्षा की उसके निशान भारतीय क्रिकेट के इतिहास के पृष्ठों पर अमिट रूप से दर्ज हो गये । यह पहला अवसर है जब भारतीय टीम नयूजीलेण्ड के दौरे पर एकदिवसीय मैचों की ऋंखला में अजेय अग्रता हासिल कर चुकी है और ऋंखला में विजयी होकर ही स्वदेश लौटेगी । टी२० मैचों की ऋंखला में अपने प्रतिद्वंदियों से बुरी तरह हारने के बाद भारतीय टीम ने जिस तरह वापसी की, वह काबिले तारीफ है । पांच मैचों की ऋंखला में भारतीय टीम चार मैचों की समाप्ति पर ३-० से आगे हो गई है ।
एकदिवसीय मैचों की ऋंखला में भारतीय टीम का प्रदर्शन पूरे शबाब पर रहा । बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग सभी में भारतीय टीम ने उच्चस्तरीय खेल का प्रदर्शन किया । खासतौर पर भारतीय टीम की बल्लेबाजी ने तो आक्रामकता के नये आयाम ही रच डाले । सचिन तेंदुलकर के बल्ले से तीसरे एक दिवदसीय मैच में रनों की जो सरिता प्रवाहित हुई उसने उन लोगों को करारा जवाब दे दिया जो मास्टर ब्लास्टर की क्श्मता पर अविश्वास करने लगे थे । होली के दिन आयोजित चौथे मैच में वीरेंद्र सहवाग के बल्ले ने जो आतिशी धमाल मचाया उसने ना केवल ऋंखला भारत के नाम लिख दी अपितु भारत के एक दिवदसीय क्रिकेट इतिहास का सबसे तेज शतक का कीर्तिमान भी रच दिया । जिस दिन भी सहवाग अपने चरम पर हों उंहें बल्लेबाजी करते देखना अपने आप में ना केवल आहलादकारी है अपितु किसी अजूबे करतब को साकार होते देखने जैसा भी है । वर्तमान में उनसे बेहतर आक्रामक बल्लेबाज कोई नहीं है, जो अपनी तकनीकी खामियों के बावजूद दुनिया के किसी भी गेंदबाज की बखिया उधेड कर रख सकता है ।
कप्तान धोनी भारत के सफलतम कप्तान बनने की राह पर अग्रसर हैं । उनकी कप्तानी में भारतीय टीम हर मैच के बाद निखर रही है और सफलता की नई कहानियां लिख रही है । नयूजीलेण्ड में इससे पहले कभी भी भारतीय टीम ने ऋंखला में जीत का स्वाद नहीं चखा था । नयूजीलेण्ड में भारतीय टीम का कीर्तिमान सदा ही खराब रहा है । इस ऋंखला से पूर्व तक भारतीय टीम ने वहां खेले गये २४ मैचों में से केवल सात में ही जीत पाई थी ।
कप्तानी करते हुये धोनी नितांत सहज और तनावरहित नजर आते हैं, जो उनके एक परिपक्व कप्तान होने का उदाहरण है । उंहोंने टीम मे आत्मविश्वास जगाया है और टीम को जीतने का मंत्र दिया है । दिवदसीय ऋंखला में जीत के बाद अब भारतीय टीम के सामने टेस्ट सीरीज जीतने की भी चुनौती है । शुभ कामनायें ।

भारतीय टीम की जबर्दस्त वापसी

पानी के आसंन संकट के मद्देनजर भोपाल में इस वर्ष रंगों की वरसात नहीं हुई लेकिन यहां से हजारों किलोमीटर दूर हेमिल्टन में भारतीय क्रिकेटरों ने जो रन वर्षा की उसके निशान भारतीय क्रिकेट के इतिहास के पृष्ठों पर अमिट रूप से दर्ज हो गये । यह पहला अवसर है जब भारतीय टीम नयूजीलेण्ड के दौरे पर एकदिवसीय मैचों की ऋंखला में अजेय अग्रता हासिल कर चुकी है और ऋंखला में विजयी होकर ही स्वदेश लौटेगी । टी२० मैचों की ऋंखला में अपने प्रतिद्वंदियों से बुरी तरह हारने के बाद भारतीय टीम ने जिस तरह वापसी की, वह काबिले तारीफ है । पांच मैचों की ऋंखला में भारतीय टीम चार मैचों की समाप्ति पर ३-० से आगे हो गई है ।
एकदिवसीय मैचों की ऋंखला में भारतीय टीम का प्रदर्शन पूरे शबाब पर रहा । बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग सभी में भारतीय टीम ने उच्चस्तरीय खेल का प्रदर्शन किया । खासतौर पर भारतीय टीम की बल्लेबाजी ने तो आक्रामकता के नये आयाम ही रच डाले । सचिन तेंदुलकर के बल्ले से तीसरे एक दिवदसीय मैच में रनों की जो सरिता प्रवाहित हुई उसने उन लोगों को करारा जवाब दे दिया जो मास्टर ब्लास्टर की क्श्मता पर अविश्वास करने लगे थे । होली के दिन आयोजित चौथे मैच में वीरेंद्र सहवाग के बल्ले ने जो आतिशी धमाल मचाया उसने ना केवल ऋंखला भारत के नाम लिख दी अपितु भारत के एक दिवदसीय क्रिकेट इतिहास का सबसे तेज शतक का कीर्तिमान भी रच दिया । जिस दिन भी सहवाग अपने चरम पर हों उंहें बल्लेबाजी करते देखना अपने आप में ना केवल आहलादकारी है अपितु किसी अजूबे करतब को साकार होते देखने जैसा भी है । वर्तमान में उनसे बेहतर आक्रामक बल्लेबाज कोई नहीं है, जो अपनी तकनीकी खामियों के बावजूद दुनिया के किसी भी गेंदबाज की बखिया उधेड कर रख सकता है ।
कप्तान धोनी भारत के सफलतम कप्तान बनने की राह पर अग्रसर हैं । उनकी कप्तानी में भारतीय टीम हर मैच के बाद निखर रही है और सफलता की नई कहानियां लिख रही है । नयूजीलेण्ड में इससे पहले कभी भी भारतीय टीम ने ऋंखला में जीत का स्वाद नहीं चखा था । नयूजीलेण्ड में भारतीय टीम का कीर्तिमान सदा ही खराब रहा है । इस ऋंखला से पूर्व तक भारतीय टीम ने वहां खेले गये २४ मैचों में से केवल सात में ही जीत पाई थी ।
कप्तानी करते हुये धोनी नितांत सहज और तनावरहित नजर आते हैं, जो उनके एक परिपक्व कप्तान होने का उदाहरण है । उंहोंने टीम मे आत्मविश्वास जगाया है और टीम को जीतने का मंत्र दिया है । दिवदसीय ऋंखला में जीत के बाद अब भारतीय टीम के सामने टेस्ट सीरीज जीतने की भी चुनौती है । शुभ कामनायें ।

Tuesday, March 3, 2009

तीन मार्च का काला दिन

३ मार्च का दिन दुनिया के खेल इतिहास में सदा के लिये काले अक्शरों मे दर्ज हो गया है । इस दिन पाकिस्तान के शहर लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम के बाहर जो कुछ भी घटा उसने सारी मानवता को शर्मसार कर दिया । इस घटना की तुलना १९७२ मे ५ सितंबर को म्युनिख ओलिम्पिक के दौरान फिलीस्तीनी - गुरिल्लाओं द्वारा ११ इजराइली एथलीटों की हत्या से ही की जा सकती है । मानवता के दुश्मनों ने शांती और भाईचारे का संदेश देने वाले खेल मैदानों को भी अपने वहशीपन का ठिकाना बना लिया है यह सारी दुनिया के लिये चिंता का सबब है ।
लाहौर मे श्री लंका की टीम के ऊपर हुये आतंकवादी हमले में पांच श्री लंकाई खिलाडियों के घायल होने की खबर है तथा आम नागरिकों सहित सात या आठ सुरक्शा कर्मियों के मारे जाने की खबर है । पाकिस्तान में क्रिकेट की गतिविधियां वैसे भी सिमट गई है । कोई भी देश पाकिस्तान आकर खेलना नहीं चाहता । कोई भी अंतर्राश्ट्रीय टूर्नामेंट वहां आयोजित नहीं हो पा रहा है । चैंपियंस ट्राफी की मेजवानी उससे पहले ही छीनी जा चुकी है । अब इस घटना के बाद उसकी विश्व कप मेजबानी भी जा सकती है । २०११ के विश्व कप का वह भारत और श्री लंका के साथ सह-आयोजक है ।
जिस देश ने वहां क्रिकेट खेलने का साहस दिखाकर पाकिस्तान को वापस क्रिकेट की मुख्य धारा में लोटाने की कोशिश की उसे ही इसका सबसे बडा खामियाजा भुगतना पडा । सारी दुनिया में आतंकवाद के पोशक के रूप में कुख्यात पाकिस्तान के हाथों में भी अब आतंकवादियों की लगाम नहीं रह गई है । स्वात घाटी मे तालीबान के सामने घुटने टेक देने के सप्ताह भर के अंदर ही आतंकवादियों ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि अब उनकी अगली मंजिल पाकिस्तानी सत्ता पर अपनी धौंस जमाकर सारे पाकिस्तान में तालीबानी - सत्ता काबिज करना है ।
लाहौर मे श्री लंका की टीम के ऊपर हुये आतंकवादी हमले की जितनी निंदा की जाये कम ही है । आतंकवादी अपनी सफलता पर भले ही जश्न मनालें लेकिन दुनिया से मानवीय मूल्यों को वे कभी खत्म नहीं कर सकते । हर पाशविक शक्ति का विनाश भूतकाल में भी हुआ है और भविश्य में भी इसके लिये जगह नहीं है ।