कहानी, व्यंग्य, कविता, गीत व गजल

Thursday, October 24, 2013

प्रेम तो गज़ल है

रूह का अहसास है, गलत बयानी नहीं |
प्रेम
तो गज़ल है कोई कहानी नहीं |

गुलशन
के आंगन गर आई है खुशबू
ये नियति है किसी की मेहरबानी नहीं |

सागर
के किनारे बैठ ना आहें भरो
आंसू तो मोती है, महज पानी नहीं |

प्रीत
के गीत अभी कोई कैसे गाए
सुबह उदास है, शाम भी सुहानी नहीं |

किसी के दुख से भला उसे क्या वास्ता
जिसके दिल मे दर्द, आंख में पानी नहीं |

वक्त ने चूर किया है दर्प कितनों का
वह चोट करता है, छोड़ता निशानी नहीं |

असफल हो गये महारथी भी मैदान में
जिसने हर हाल में लड़ने की ठानी नहीं |
***

अरुण अर्णव खरे