आज २५ दिसम्बर २०१६ के सुबह सवेरे में प्रकाशित मेरा व्यंग्य -- आपके अवलोकनार्थ
http://epaper.subahsavere.news/c/15607789
सोनम गुप्ता
कौन है कोई नहीं जानता - पर उसकी एक राष्ट्रीय पहिचान है । लोग
नोट बदलवाने के लिए लाइनों मे खड़े हैं और चटखारे ले लेकर सोनम गुप्ता के क़िस्से इस
तरह सुना रहे हैं जैसे वह उनके पड़ोस मे ही रहती हो । मदन मोहन मास्टर अपने बग़ल मे
खड़े गोविंद रैकवार को बता रहे थे - "मुझे लगता है सोनम
वही लड़की है जिसे हमने लांबाखेड़ा के स्कूल मे पढ़ाया था । उसे साथ मे पढ़ने वाले
भगीरथ अहिरवार से लगाव था .. जात-पांत का
लोचा था इसलिए दोनों को अलग होना पड़ा था .. हो न हो यह भगीरथ
की ही करतूत है .. उसी ने सोनम को बदनाम करने की मुहिम चला रखी
है"
http://epaper.subahsavere.news/c/15607789
सोनम गुप्ता बेवफ़ा नहीं है
--- अरुण अर्णव खरे ---
"पर भाई साब .. सोनम गुप्ता कहाँ की है यह तो किसी को
नहीं मालूम .. लांबाखेड़ा वाली है तो भगीरथ को लिखना चाहिए था
.. मुझे तो कुछ और ही कहानी लगती है" - गोविंद
बोले ।
"भाई साब आप कहाँ की लगाए हुए हैं .. बिचारा सोनवीर उसके
चक्कर मे फँसकर बर्बाद हो गया" - दोनों की बातें सुन रहे
दयाराम सोनटके ने अपनी टाँग अड़ा दी - "पता नहीं कितने और
नोटों पर बिचारा सोनू अपना दर्द बिखेरेगा ।"
"सोनम गुप्ता ही बेवफ़ा क्यों .. क्या आज तक कोई मर्द
बेवफ़ा नहीं हुआ .. " - लाईन मे खड़ी द्रौपदी बहिन चुप नहीं
रह सकीं और बातचीत के बीच मे कूंद पड़ी - "हमारे एक रिश्तेदार
ने ही दो-दो शादियाँ रचा ली है .. हमारे
आफिस मे काम करने वाले बसंती लाल ने पचपन साल की उम्र मे बीवी को तलाक़ देकर २१ साल
की लड़की को फँसाकर शादी कर ली .. लोगो को इनकी बेवफ़ाई नहीं
दिखती।"
"अरे ये कोई सिरफिरा आशिक है .. जो दस रुपए को छोड़कर
अब दो हज़ार के नोटों पर अपना दर्द उँड़ेल रहा है .. भला हो सरकार
का जो वह दस हज़ार का नोट लेकर नहीं आई ।" भीड़ के एक अन्य
समूह मे भी यही चर्चा चल रही थी ।
तभी मुरारी जी दो-दो हज़ार के दो नोट हाथों मे पकड़े विजयी मुद्रा में बैंक से बाहर निकले ।
किसी ने तंज कसा - "भैया अच्छे से देख लेना .. कहीं नोट पर सोनम गुप्ता बेवफ़ा है तो नहीं लिखा है ।" भीड़ मे खड़े लोग खिलखिलाकर हंस पड़े ।
बात-बात पर भयंकर रूप से भयभीत हो जाने वाले शेरसिंग सूर्यवंशी जी का अलग ही दर्द
था - "भैया मैं तो सोनम का सो सुनते ही भयभीत हो जाता हूँ भले ही उसने सोना बोलने
के लिए मुँह खोला हो या नींद की झपकी के लिए ... सो सुनते ही
मैरी रूह कॉंपने लग जाती है कि फिर सोनम गुप्ता सामने आने वाली है"
"अरे तो आप ही सोनवीर हो क्या " बड़ी देर से लाइन
मे लगे धीरज चौधरी अधीर होते हुए बोले ।
"मिल गया .. मिल गया .. सोनम ने
जिससे बेवफ़ाई की मिल गया .." शांतिलाल श्रंगारी ज़ोर-ज़ोर से चीख़ने लगे ।
तभी बैंक के बाहर नोटिस
चस्पा कर दिया गया .. कैश समाप्त । नोट न मिलने की निराशा मे
डूबे लोग कल फिर मिलने और सोनम गुप्ता के बारे मे लेटेस्ट अपडेट लेकर आने का कहकर विदा
हुए ।
अगले दिन बैंक की लाईन
में कुछ ऐसे लोग फिर से खड़े मिले जो एक दिन पूर्व ही पुराने नोट बदलवा कर या कैश निकाल
कर ले गए थे और आज उनका कोई काम बैंक मे नहीं था । उनसे कारण पूंछा तो झेंपते हुए फीकी
सी हँसी हँसने लगे । तभी कोई बोल पड़ा - "सोनम गुप्ता की
वजह से आए हैं ।"
"हाँ .. हाँ .. उसकी वजह से आए हैं
.. सबने उसे बदनाम कर रखा है .. महिलाओं के क़िस्से
सबको चटखारे ले लेकर सुनाने मे बड़ा मज़ा आता है .. दिल पर हाथ
रखकर बोलो क्या सच मे सोनम बिचारी बेवफ़ा है" - बुधलाल की
शेरसिंग नुमा दहाड़ सुनकर बहुत से लोग सकपका गए ।
"आप
सौ फ़ीसदी सही कह रहे हैं .. सोनम बेवफ़ा है ही नहीं
.. सोनवीर सोनम गुप्ता से एक तरफ़ा प्यार करता था .. लेकिन सोनम को इसका कोई इल्म ही नहीं था । जब सोनम की सगाई हो गई तो सोनवीर
को अपना तंबू उखड़ता लगा और वह उसे बदनाम करने लगा ।" एक
सज्जन बोले, .. सज्जन इसलिए कि महिलाओं का पक्ष केवल सज्जन लोग
ही लेते हैं बाक़ी तो चीरहरण करते हैं ।
"सही
कह रहें है ये ... पर
सबसे ज्यादा बेवफाई तो आर बी आई कर रहा है .. सोनम गुप्ता तो बेवफ़ा हेई नहीं
.. रोज नए फरमान लेकर चला आता है -- मुखिया जी
की घोषणाओं तक को धता बता रहा है .. अब तक साठ बार अपने ही नियम
बदल डाले हैं बेवफ़ा ने .. और आप है सोनम गुप्ता मे उलझे हैं
.. इनकी बेवफ़ाई नहीं दिख रही किसी को ..." लगातार सोलहवें दिन भी जब सेवकराम चोकसे को बैंक की लाइन मे खड़े खड़े पैसे
नहीं मिल पाए तो उनकी देश भक्ति पेट पर भारी पड़ने लगी थी ... " नोट पर ये घोषणा लिख क्यूं नहीं देते कि है किसी माई के लाल में दम जो खून-पसीने से कमाया
पैसे हमारे पास से निकाल सके--"
अरुण अर्णव खरे
डी-1/35 दानिश नगर,
होशंगाबाद रोड, भोपाल (म०प्र०) पिन: 462 026
फोन: 09893007744
ई मेल: arunarnaw@gmail.com
No comments:
Post a Comment