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Monday, February 16, 2009

आई.सी.सी. का नया बखेड़ा

क्रिकेट की विश्व-नियंत्रक संस्था आई-सी-सी- ने क्रिकेट के 100 सबसे बढिया बल्लेबाजों एवं गेंदबाजों की सूची जारी कर नए विवादों को जन्म दिया है । इस सूची के प्रकाशन से भारत के करोड़ो क्रिकेट प्रेमियों को घोर निराशा हुई है और वे इसे भारतीय क्रिकेटरों के अपमान के रूप में देख रहे हैं । इस तरह की कोई भी सूची कभी भी आदर्श रूप में प्रकाशित हो ही नहीं सकती। समय-काल के हिसाब से खिलाड़ियों की खेल-शैली तकनीकी-कौशल और दक्षता में भारी परिवर्तन आया है। क्रिकेट के नियमों में भी समय-समय पर कई परिवर्तन किए गए है, इनमें से कई क्रिकेट को रोचक बनाने और इसकी लोकप्रियता बरकरार रखने के लिए किए गए हैं। लेकिन आई.सी.सी. ने अपनी सूची जारी करते हुए इन मोटी-मोटी वास्तविकताओं को भी ध्यान में नहीं रखा।..ऐसे में सूची को विवादों को जन्म तो देना ही था,...लेकिन इसने आई.सी.सी. की बेढंगी कार्यशैली को उजागर करने का कार्य भी बखूवी किया हैं। सर्वकालीन महान खिलाड़ियों की इस सूची में दुनिया के कई नामी-गिरामी खिलाड़ी इतने नीचे पहुॅच गये है .. कि उनके प्रशंशक यह देखकर बोखला गए है। कुछ दोयम दर्जे के खिलाड़ियों की उच्च रैकिंग देखकर सूची को अंतिम स्वरूप देने वालों की काबलियत पर हॅंसी आती है। उदाहरण के लिय भारतीय ओपनर सुनील गावस्कर को टेस्ट क्रिकेट में 20 वॉं स्थान मिला है । टेस्ट इतिहास में सर्वाधिक शतकों एवं 10,000 से अधिक रन बनाने का कीर्तिमान रचने वाले इस बल्लेबाज ने अपने जमाने में वेस्टइंडीज और आस्टेलिया के तूफानी गेंदबाजों को जिस कौशल से उन्हीं की सरनंजी पर धुना उसकी मिसाल तत्कालीन क्रिकेट इतिहास में नहीं है । श्रीलंका के कुमार संगकारा (6वॉ स्थान) आस्टेलिया के मैथ्यू हेडन (10वॉं स्थान) दक्षिण अफ्रीका के जेक केलिस (10 वॉं संयुक्त) पाकिस्तान के मोहम्मद युसुफ (12 वॉं) दक्षिण अफ्रीका के डडले नर्स (17 वॉं) आस्टलिया के माइक हसी संयुक्त (17 वॉं) तक को गावस्कर से तरजीह दी गई है । इनमें से कोई भी बल्लेबाज ... ना तो गावस्कर जैसे तकनीकी कौशल में सिद्ध हस्त हैं और ना ही गावस्कर कितना दीर्घ समय तक निरंतरता के साथ बल्लेबाजी कर सका है । यह तो एक उदाहरण है । इस सूची के पहले 20 खिलाड़ियों में तो टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रनों एवं शतकों का कीर्तिमान अपने नाम पर लिखने वाले सचिन तैदुलकर का तो नाम ही नहीं है । उन्हें केविन पीटरसन और एस चंद्रपाल से भी नीचे 26 वें नम्बर पर रखा गया है । अन्य भारतीय बल्लेबाजों में राहुल दृविढ़ (30) गुकप्या विश्वनाथ (45), विजय हजारे (48), वीरेन्द्र सहवाग (51) दिलीप वेंगसकर (61) तथा पॉली उम्रीगर (98) नम्बर पर हैं जबकि मोहम्मद अजहरूद्वीन, वी.वी.एस.लक्ष्मण और सोरव गांगुली को 100 बल्लेबाजों की बिरादरी में कोई स्थान नहीं मिल सका है ।
कमोवेश यही हाल गेंदबाजों एवं एक दिवसीय क्रिकेट की सूचियों का भी हैं। आई.सी.सी. ने खिलाड़ियों की रेकिंग का क्या आधार बनाया.. यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। इतनी महत्वपूर्ण सूचियों को जारी करने से पूर्व आई.सी.सी. को संभावित विवादों का भी आकलन कर लेना था । सूची में जिस तरह से भारतीय खिलाड़ियों की रेकिंग में खिलवाड़ किया गया है उससे विश्व-किक्रेट में भारत और भारतीय खिलाड़ियों की बढ़ती साख को कमतर करने की सोची समझी साजिश भी अनेक लोगों को नजर आ रही हैं । कुछ लोग इसे दूसरे रूप में भी देख रहे हैं । आस्टेलिया, इंग्लैण्ड सहित अन्य देशों में क्रिकेट की घटती लोकप्रियता तथा आई.सी.सी. के तमाम प्रयासों के बावजूद.. दुनिया के अन्य देशों में अपेक्षित रूप से क्रिकेट का फैलाव ना हो सकने के कारण.. आई.सी.सी. द्वारा जानबूझ कर विवादों को जन्म देकर पूरी दुनिया में सुर्खियॉं बटोरने का कार्य किया गया है । बहरहाल वास्तविकता जो भी हो आई.सी.सी. ने अनेक महान खिलाड़ियों के साथ अशोभनीय मजाक किया है । जिसके लिए उसे स्पष्टीकरण देना चाहिए और माफी भी मांगनी चाहिए ।
कुछ दिन पूर्व डे-नाइट एक दिवसीय मैचों की तरह डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट आयोजित करने के संबंध में भी विचार व्यक्त किए गए थे । कुछ देशों में क्रिकेट की घटती लोकप्रियता के तारतम्य में यह विचार प्रस्तुत किया गया । टी-20 क्रिकेट ने जिस तेजी से लोकप्रियता की ।ंचाईयों को छुआ है- उससे एक दिवसीय क्रिकेट पर संकट की छाया तो दिखाई पड़ती है पंरतु टेस्ट-क्रिकेट पर इसका कुछ असर होगा लगता नहीं है । पांच दिनों तक डे-नाइट क्रिकेट... दर्शकों को बहुत सहज प्रतीत होगा संदेहास्पद हैं । आज के तेज रतार समय में क्रिकेट की शास्त्रीयता वैसे भी युवा-पीढ़ी को ज्यादा नहीं भाती । उसे तेज गाडियों और बाईक की ही तरह तेज रतार खेल ही आकर्षित करता है । अतएव डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट नए दर्शकों को अपनी ओर खींच सकने में समर्थ होगा ... यह दूर की सोचना होगा । टेस्ट क्रिकेट को वर्तमान रूप में केवल दिन में डी खेलते देना चाहिए । हॉ उसके नियमों में सामयिक परिवर्तन अवश्य होने चाहिए तथा नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भी बढ़ना चाहिए ।

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